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Ghalib

Ghalib

Mirza Ghalib
0/5 ( ratings)
उर्दू साहित्य में मिर्ज़ा असदउल्लाह खां 'ग़ालिब' का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी शायरी में ज़िन्दगी के वे सभी रंग मौजूद हैं, जिनके कारण उनकी शायरी हरदिल अज़ीज़ बन गयी है।
अपनी शायरी के बारे में उन्होनें एक शे'र कहा था, जो शायरी के शौक़ीनों की ज़बान पर रहता है -
ये मिसाइले तसव्वुफ़, ये तेरा बयान 'ग़ालिब'
तुझे हम वली समझते, जो न बादाख़्वार होता
उर्दू अदब के मक़्बूल शायर मिर्ज़ा 'ग़ालिब' का नाम किसी तअर्रुफ़ का मोहताज नहीं। उनकी एक-एक शेर ख़ुद बोलकर उनका तअर्रुफ़ दे पाने की हैसियत रखता है। मिर्ज़ा 'ग़ालिब' के अशआर को पढ़कर उनकी ज़िन्दगी से वाक़िफ़ हुआ जा सकता है।
Pages
212
Format
Kindle Edition
Publisher
Manjul Publishing House
Release
October 24, 2019

Ghalib

Mirza Ghalib
0/5 ( ratings)
उर्दू साहित्य में मिर्ज़ा असदउल्लाह खां 'ग़ालिब' का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी शायरी में ज़िन्दगी के वे सभी रंग मौजूद हैं, जिनके कारण उनकी शायरी हरदिल अज़ीज़ बन गयी है।
अपनी शायरी के बारे में उन्होनें एक शे'र कहा था, जो शायरी के शौक़ीनों की ज़बान पर रहता है -
ये मिसाइले तसव्वुफ़, ये तेरा बयान 'ग़ालिब'
तुझे हम वली समझते, जो न बादाख़्वार होता
उर्दू अदब के मक़्बूल शायर मिर्ज़ा 'ग़ालिब' का नाम किसी तअर्रुफ़ का मोहताज नहीं। उनकी एक-एक शेर ख़ुद बोलकर उनका तअर्रुफ़ दे पाने की हैसियत रखता है। मिर्ज़ा 'ग़ालिब' के अशआर को पढ़कर उनकी ज़िन्दगी से वाक़िफ़ हुआ जा सकता है।
Pages
212
Format
Kindle Edition
Publisher
Manjul Publishing House
Release
October 24, 2019

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