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Zafar

Zafar

OP Sharma
0/5 ( ratings)
बहादुर शाह ज़फ़र की शायरी में एक अजीब तरह का दर्द छिपा हुआ है। विद्रोह और फिर उनके रंगून में निर्वासित होने के बाद ये ग़म और भी स्पष्ट तौर पर उनकी शायरी में नज़र आता है। 'ज़फर' एक शाइर और एक अच्छे शाइरनवाज़ थे। उनके समय में लाल क़िले में मुशाइरों के आयोजन होते रहते थे, जिनमें वे भी शिरकत करते थे। आप उस्ताद 'ज़ौक़' के शागिर्द हो गये थे, पर इसी के साथ आपने अपने वक़्त के मक़्बूल शाइरों 'ग़ालिब' और 'मेमिन' जैसे उस्तादों के सान्निध्य से भी बहुत कुछ सीखा, जिसे उनके कलाम की गहराई तक पहुंचकर ही समझा जा सकता है। आपकी शाइरी में जो गम्भीरता है, उसके कारण उनका नाम उर्दू अदब के एक उज्जवल सितारे के रूप में बराबर याद किया जाता रहेगा।
क़द्र ऐ इश्क़ रहेगी तेरी क्या मेरे बाद
कि तुझे कोई नहीं पूछने का मेरे बाद

ज़म पर दिल के &
Pages
229
Format
Kindle Edition
Publisher
Manjul Publishing House
Release
October 24, 2019

Zafar

OP Sharma
0/5 ( ratings)
बहादुर शाह ज़फ़र की शायरी में एक अजीब तरह का दर्द छिपा हुआ है। विद्रोह और फिर उनके रंगून में निर्वासित होने के बाद ये ग़म और भी स्पष्ट तौर पर उनकी शायरी में नज़र आता है। 'ज़फर' एक शाइर और एक अच्छे शाइरनवाज़ थे। उनके समय में लाल क़िले में मुशाइरों के आयोजन होते रहते थे, जिनमें वे भी शिरकत करते थे। आप उस्ताद 'ज़ौक़' के शागिर्द हो गये थे, पर इसी के साथ आपने अपने वक़्त के मक़्बूल शाइरों 'ग़ालिब' और 'मेमिन' जैसे उस्तादों के सान्निध्य से भी बहुत कुछ सीखा, जिसे उनके कलाम की गहराई तक पहुंचकर ही समझा जा सकता है। आपकी शाइरी में जो गम्भीरता है, उसके कारण उनका नाम उर्दू अदब के एक उज्जवल सितारे के रूप में बराबर याद किया जाता रहेगा।
क़द्र ऐ इश्क़ रहेगी तेरी क्या मेरे बाद
कि तुझे कोई नहीं पूछने का मेरे बाद

ज़म पर दिल के &
Pages
229
Format
Kindle Edition
Publisher
Manjul Publishing House
Release
October 24, 2019

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