प्रसिद्ध कथाकार केशव जैसे जीवन के साधक हैं; वैसे ही भाषा के। भाषा के सिद्ध; पीर-फकीर; जहाँ भाषा उनकी चेरी है; उनका आदेश मानने को विवश; पर वह अज्ञेय या निर्मल जैसी नहीं है। केशव की कहानियों में जीवन के सभी रंग हैं; जिन्हें उन्होंने दसों अंगुलियों से पकड़ने की कोशिश की तो वे और भी खरे कथाकार बन गए। पहाड़ी जीवन के राग-रंग का कथा-संगीत गुनगुनाते किसी गायक की तरह; जिसका गाना अच्छा तो बहुत लगता है; लेकिन कोई उसे दोहरा नहीं सकता; क्योंकि यह सिद्धि गहन-गंभीर रियाज से किन्हीं-किन्हीं सर्जकों को ही नसीब होती है। केशव की रचनाओं में कोई दोहराव नहीं है; न कथ्य में; न ही भाषा में। कोई भी विचारधारा उनके कथ्य का निर्धारण नहीं करती; न ही उनकी भाषा पर स्लोगनों का कोई दुष्प्रभाव पड़ा। जीवन के बीचोबीच से वे अपने &
प्रसिद्ध कथाकार केशव जैसे जीवन के साधक हैं; वैसे ही भाषा के। भाषा के सिद्ध; पीर-फकीर; जहाँ भाषा उनकी चेरी है; उनका आदेश मानने को विवश; पर वह अज्ञेय या निर्मल जैसी नहीं है। केशव की कहानियों में जीवन के सभी रंग हैं; जिन्हें उन्होंने दसों अंगुलियों से पकड़ने की कोशिश की तो वे और भी खरे कथाकार बन गए। पहाड़ी जीवन के राग-रंग का कथा-संगीत गुनगुनाते किसी गायक की तरह; जिसका गाना अच्छा तो बहुत लगता है; लेकिन कोई उसे दोहरा नहीं सकता; क्योंकि यह सिद्धि गहन-गंभीर रियाज से किन्हीं-किन्हीं सर्जकों को ही नसीब होती है। केशव की रचनाओं में कोई दोहराव नहीं है; न कथ्य में; न ही भाषा में। कोई भी विचारधारा उनके कथ्य का निर्धारण नहीं करती; न ही उनकी भाषा पर स्लोगनों का कोई दुष्प्रभाव पड़ा। जीवन के बीचोबीच से वे अपने &