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Dagh

Dagh

O.P Sharma
3.6/5 ( ratings)
उर्दू शायरी के इतिहास में एक से बढ़कर एक शाइर हुए हैं, जिनकी शख़्सियत या जिनका कलाम किस परिचय का मुहताज नहीं है। उर्दू शाइरी में जिन शाइरों का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है, उनमें 'दाग़ देहलवी' का अपना स्थान है।
मेरे तक़ी 'मीर' और उनके बाद 'मेमिन', 'ज़ौक', 'ग़ालिब' और इन्हीं के साथ 'दाग़' का ऐसा नाम है, जिस पर उर्दू अदब नाज़ कर सकता है, यह बात गलत नहीं है।
'दाग़' की शायरी के बारे में यही कहा जा सकता है कि यदि उनकी शाइरी का हुस्न उनकी ज़बान और उनके अंदाज़े बयान में है। इश्क़ कि वारदातें उनका सबसे प्रिय विषय है। इस बात का प्रमाण उनके ये शे'र हैं -
मौत का मुझको न खटका, शबे-हिज्रां होता।
मेरे दरवाज़े अगर आपका दरबां होता।।

ख़याले यार ये कहता है मुझसे ख़िलवत में।
तेरा रफ़ीक़ बता और कौन है, मैं हूँ।।

'दाग़ देहलवी' एक उच
Pages
162
Format
Paperback
Publisher
Manjul Publishing House
Release
October 10, 2019
ISBN
9389143543
ISBN 13
9789389143546

Dagh

O.P Sharma
3.6/5 ( ratings)
उर्दू शायरी के इतिहास में एक से बढ़कर एक शाइर हुए हैं, जिनकी शख़्सियत या जिनका कलाम किस परिचय का मुहताज नहीं है। उर्दू शाइरी में जिन शाइरों का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है, उनमें 'दाग़ देहलवी' का अपना स्थान है।
मेरे तक़ी 'मीर' और उनके बाद 'मेमिन', 'ज़ौक', 'ग़ालिब' और इन्हीं के साथ 'दाग़' का ऐसा नाम है, जिस पर उर्दू अदब नाज़ कर सकता है, यह बात गलत नहीं है।
'दाग़' की शायरी के बारे में यही कहा जा सकता है कि यदि उनकी शाइरी का हुस्न उनकी ज़बान और उनके अंदाज़े बयान में है। इश्क़ कि वारदातें उनका सबसे प्रिय विषय है। इस बात का प्रमाण उनके ये शे'र हैं -
मौत का मुझको न खटका, शबे-हिज्रां होता।
मेरे दरवाज़े अगर आपका दरबां होता।।

ख़याले यार ये कहता है मुझसे ख़िलवत में।
तेरा रफ़ीक़ बता और कौन है, मैं हूँ।।

'दाग़ देहलवी' एक उच
Pages
162
Format
Paperback
Publisher
Manjul Publishing House
Release
October 10, 2019
ISBN
9389143543
ISBN 13
9789389143546

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